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हिन्दी साहित्य का दिग्दर्शन

मोहनदेव-धर्मपाल

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2017
पृष्ठ :187
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9809

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हिन्दी साहित्य का दिग्दर्शन-वि0सं0 700 से 2000 तक (सन् 643 से 1943 तक)

निःसन्देह हिन्दी-साहित्य के अनेक इतिहास आज तक प्रकाशित हो चुके हैं और उनके रहते किसी नये प्रयास की आवश्यकता भी नहीं थी पर हमने यह अनुभव किया कि सुकुमारमति छात्र उनसे विशेष लाभ नहीं ले सके उनके लिए एक ऐसे संक्षिप्त इतिहास की आवश्यकता अनुभव हुई जिससे वे संक्षेप में आरम्भिक ज्ञान प्राप्त कर सकें और इतिहास के मुख्य-मुख्य अङ्गों को भली भाँति जान और समझ सकें परस्पर वार्तालाप करते हुए कई एक अध्यापकों से भी इस विषय पर चर्चा हुई और सबने एक स्वर से इस क्षति को अनुभव किया इतने में पता चला कि पंजाब यूनिवर्सिटी ने भी हिन्दी की प्रथम परीक्षा के लिए एक संक्षिप्त पाठ्‌यक्रम निश्चित किया है। उसको हमने भली भांति देखा और उसको नितांत उपयोगी जानकर उसी आधार पर इस छोटी-सी पुस्तिका की रचना की है। पूर्व में हमने काल-भेदानुसार हिन्दी-साहित्य के विकास के संबंध में कम से परिचय देते हुए समस्त सामग्री को एक फूझे में बन्द करने की चेष्टा की है ताकि बाल-छात्रों को आडम्बर में न फँसना पड़े और वे शीघ्र ही सूत्ररूप में हिन्दी-साहित्य का इतिहास एवं साहित्यकारों का परिचय मोटे रूप से अध्ययन कर सकें।

बाद में चुने हुए प्रसिद्ध लेखकों की संक्षिप्त जीवनियाँ देकर उनकी रचनाओं के सम्बन्ध में भी स्थूल रूप से परिचय दे दिया है।

यह इतिहास छोटी क्लासों के छात्रों के लिए परमोपयोगी रहेगा और अध्यापकों की चिरकाल से अनुभव की गई क्षति को भी पूरा करेगा, ऐसा हमें विश्वास है।

गांधी-जयन्ती-दिवस, १९५५

- लेखकद्वय


हिन्दी साहित्य का दिग्दर्शन

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UbaTaeCJ UbaTaeCJ

"हिंदी साहित्य का दिग्दर्शन" समय की आवश्यकताओं के आलोक में निर्मित पुस्तक है जोकि प्रवाहमयी भाषा का साथ पाकर बोधगम्य बन गयी है। संवत साथ ईस्वी सन का भी उल्लेख होता तो विद्यार्थियों को अधिक सहूलियत होती।